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महत्त्वपूर्ण निबंध



1- अनुशासन



2- विद्यार्थी जीवन



3- पुस्तकों का महत्त्व



4- मेरा विद्यालय



5- मेरी माँ


6- मेरी अध्यपिका







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कक्षा १० हिंदी पाठ- १ सूरदास के पद

 क्षितिज  पाठ- १ सूरदास के पद  पदों   की   व्याख्या       (1)   ऊधौ ,  तुम   हौ   अति   बड़भागी ।   अपरस   रहत   सनेह   तगा   तैं ,  नाहिन   मन   अनुरागी ।   पुरइनि   पात   रहत   जल   भीतर ,  ता   रस   देह  न  दागी ।   ज्यौं   जल   माहँ   तेल   की   गागरि ,  बूँद  न  ताकौं   लागी ।   प्रीति-नदी   मैं   पाउँ  न  बोरयौ ,  दृष्टि  न  रूप   परागी ।   ‘ सूरदास ’  अबला   हम   भोरी ,  गुर   चाँटी   ज्यौं   पागी ।।   भावार्थ -   इस   पद   में   गोपियाँ   श्री   कृष्ण   के मित्र  से   कहती   है   कि   तुम   बहुत   भाग्यशाली   हो   जो   अपने   मित्र   श्री   कृष्ण   के   पास   रहकर   भी   उसके   प्रेम   को   नहीं   जान   पाए ।  उनसे   प्रेम   नहीं   कर   पाए ।  नही   तो   आपको   भी   उनसे   दूर   होने   की   दर्द   सहन   करना   होता ।  आप   बिल्कुल   पानी   में   खिले   कमल   के   पत्ते   की   तरह   है   जो   पानी   के   भितर   रहकर   भी   अछुते   रहते   हैं ।  जिस   तरह   तेल   की   गगरी   को   अगर   पानी   में   डालकर   निकाले   फिर   भी   कुछ  न  हो   पाए   यानी   तब   भी   वह   गीला  न  हो । 

Class IX_kshitij (गद्य भाग)_Ncert

 पाठ 1 दो बैलों की कथा  प्रश्न 1. कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी? उत्तर- कांजीहौस एक प्रकार से पशुओं की जेल थी। उसमें ऐसे आवारा पशु कैद होते थे जो दूसरों के खेतों में घुसकर फसलें नष्ट करते थे। अत: कांजीहौस के मालिक का यह दायित्व होता था कि वह उन्हें जेल में सुरक्षित रखे तथा भागने न दे। इस कारण हर रोज उनकी हाजिरी लेनी पड़ती होगी। प्रश्न 2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया? उत्तर- छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। इधर बैलों की भी यही स्थिति थी। गया उन्हें दिनभर खेत में जोतता, मारता-पीटता और शाम को सूखा भूसा डाल देता। छोटी बच्ची महसूस कर रही थी कि उसकी स्थिति और बैलों की स्थिति एक जैसी है। उनके साथ अन्याय होता देखा उसे बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया। प्रश्न 3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं? उत्तर- इस कहानी के माध्यम से निम्नलिखित नीतिविषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं सरल-सीधा और अत्यधिक सहनशील होना पाप है। बहुत सीधे इनसान को मूर्ख या ‘गधा’ कहा जाता है। इसलिए मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए