Posts

कक्षा १० हिंदी पाठ- १ सूरदास के पद

 क्षितिज  पाठ- १ सूरदास के पद  पदों   की   व्याख्या       (1)   ऊधौ ,  तुम   हौ   अति   बड़भागी ।   अपरस   रहत   सनेह   तगा   तैं ,  नाहिन   मन   अनुरागी ।   पुरइनि   पात   रहत   जल   भीतर ,  ता   रस   देह  न  दागी ।   ज्यौं   जल   माहँ   तेल   की   गागरि ,  बूँद  न  ताकौं   लागी ।   प्रीति-नदी   मैं   पाउँ  न  बोरयौ ,  दृष्टि  न  रूप   परागी ।   ‘ सूरदास ’  अबला   हम   भोरी ,  गुर   चाँटी   ज्यौं   पागी ।।   भावार्थ -   इस   पद   में   गोपियाँ   श्री   कृष्ण   के मित्र  से   कहती   है   कि   तुम   बहुत   भाग्यशाली   हो   जो   अपने   मित्र   श्री   कृष्ण   के   पास   रहकर   भी ...
Recent posts